सोमवार, 23 जून 2014

प्रेमगीत : आँखों ने ख़्वाबों के फूल चुने

पलकों ने चुम्बन के गीत सुने
आँखों ने ख़्वाबों के फूल चुने

साँसें यूँ साँसों से गले मिलीं
अंग अंग नस नस में डूब गया
हाथों ने हाथों से बातें की
और त्वचा ने सीखा शब्द नया

रोम रोम सिहरन के वस्त्र बुने

मेघों से बरस पड़ी मधु धारा
हवा मुई पी पीकर बहक गई
बाँसों के झुरमुट में चाँद फँसा
काँप काँप तारे गिर पड़े कई

रात नये सूरज की कथा गुने

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