tag:blogger.com,1999:blog-5466054364465468633.post1410140573508802117..comments2024-03-10T13:54:22.301+05:30Comments on ग्रेविटॉन: ग़ज़ल: एक आँसू आँख से बाहर छलकता रोज ही‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttp://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5466054364465468633.post-89694982975530977792011-02-27T13:12:21.576+05:302011-02-27T13:12:21.576+05:30कोशिशें करता हूँ सारा दिन तुझे भूलूँ मगर
चूम कर तस...कोशिशें करता हूँ सारा दिन तुझे भूलूँ मगर<br />चूम कर तस्वीर तेरी मैं सिसकता रोज ही।vijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5466054364465468633.post-79585678886184581252011-02-26T23:48:12.124+05:302011-02-26T23:48:12.124+05:30आदरणीय श्रीधर्मेन्द्रसिंहजी,
मननीय गज़ल है। आप को...आदरणीय श्रीधर्मेन्द्रसिंहजी,<br /><br />मननीय गज़ल है। आप को ढ़ेर सारी बधाई ।<br /><br />एक आँसू आँख से बाहर छलकता रोज ही<br />जख़्म यूँ तो है पुराना पर कसकता रोज ही।<br /><br />मार्कण्ड दवे.<br />mktvfilms.blogspot.comMarkand Davehttps://www.blogger.com/profile/17453483015065286737noreply@blogger.com