tag:blogger.com,1999:blog-5466054364465468633.post8398932009110475153..comments2024-03-10T13:54:22.301+05:30Comments on ग्रेविटॉन: ग़ज़ल : जो भी मिट गए तेरी आन पर वो सदा रहेंगे यहीं कहीं‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttp://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5466054364465468633.post-52051443259984814812011-08-31T09:24:22.766+05:302011-08-31T09:24:22.766+05:30बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है सज्जन जी आपने। आपकी ग़ज़लो...बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है सज्जन जी आपने। आपकी ग़ज़लों में रवानी आ रही है। बहुत सी दाद कुबूल करें।<br /><b>ऐ वतन मेरे, नहीं कर सके, कभी काल भी, ये जुदा हमें<br />मैं मरा तो क्या, मैं जला तो क्या, मेरे अणु मिलेंगे यहीं कहीं ॥२॥<br />मैं चमन मे चाहे जहाँ रहूँ मेरा हक़ है फ़सले बहार पर</b> की याद आ गई।<br />अगर दोहों की तरह नम्बर न डालें तो भी ठीक रहेगा। ग़ज़लों की परिपाटी में शायद ऐसा नहीं है।<br />सादरअमिताभ त्रिपाठी ’ अमित’https://www.blogger.com/profile/12844841063639029117noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5466054364465468633.post-43937134920889765132011-08-28T22:41:03.066+05:302011-08-28T22:41:03.066+05:30बहुत खूबसूरत गज़ल ..बहुत खूबसूरत गज़ल ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5466054364465468633.post-37911226860810066032011-08-27T10:55:54.169+05:302011-08-27T10:55:54.169+05:30धर्मेन्द्र भाई कामिल पर ग़ज़ल कहना आसान नहीं होता, आ...धर्मेन्द्र भाई कामिल पर ग़ज़ल कहना आसान नहीं होता, आप ने इस काम को बख़ूबी अंज़ाम दिया हैwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.com