सोमवार, 28 जून 2010

मेरे विज्ञान! प्यारे विज्ञान!

मेरे विज्ञान! प्यारे विज्ञान!

ना हो जादू ना चमत्कार,
ना चालबाजियों कावतार,
ना परीकथाओं के नायक;
ना रिद्धि-सिद्धि के तुम दायक,
तुम हो केवल क्रमबद्ध ज्ञान;
मेरे विज्ञान! प्यारे विज्ञान!

तुम विकसित मानव संग हुए,
भौतिकी रसायन अंग हुए,
तुमसे आडंबर भंग हुए;
सब पाखंडी-जन दंग हुए,
तुमने सच का जब दिया ज्ञान;
मेरे विज्ञान! प्यारे विज्ञान!

अस्तित्व विहीन समय जब था,
ब्रह्मांड एक लघु कण भर था,
तब तुम बनकर क्वांटम गुरुत्व,
दिखलाते थे अपना प्रभुत्व,
है नमन तुम्हें हे चिर महान;
मेरे विज्ञान! प्यारे विज्ञान!

तुमसे ही नियमों को लेकर,
प्रभु ने अपनी ऊर्जा देकर,
था रचा महाविस्फोट वहाँ,
वरना जग होता नहीं यहाँ,
है सृष्टि तुम्हारा अमर गान;
मेरे विज्ञान! प्यारे विज्ञान!

चिर नियम अनिश्चितता का दे,
ब्रह्मांड सृजन के कारक हे,
यदि नहीं अनिश्चितता होती,
हर जगह अग्नि ही बस सोती,
तुम ही से है जग प्राणवान;
मेरे विज्ञान! प्यारे विज्ञान!

सब बँधे तुम्हारे नियमों से
ग्रह सूर्य और सारे तारे
आकाशगंग या कृष्ण-विवर
सब फिरते नियमों में बँधकर
कुछ ज्ञात हमें, कुछ हैं अजान
मेरे विज्ञान! प्यारे विज्ञान!

जब मानव सब कुछ जानेगा
वह यह सच भी पहचानेगा
तुममें ईश्वर, ईश्वर में तुम
इक बिन दूजा अपूर्ण हरदम
मिलकर दोनों बनते महान
मेरे विज्ञान! प्यारे विज्ञान!

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