क्षणिका लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
क्षणिका लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 28 नवंबर 2014

कविता : ईश्वर और शैतान

महाखलनायक
महानायक के साथ ही पैदा होता है

जैसे ईश्वर के साथ ही पैदा हुआ है
शैतान

शैतान और ईश्वर
दोनों एक दूसरे के पूरक हैं

शैतान तब तक जियेगा
जब तक ईश्वर जिन्दा है

ईश्वर को खत्म कर दो
शैतान अर्थहीन होकर
ख़ुद-ब-ख़ुद खत्म हो जाएगा

मगर इससे पहले तुम्हें सीखना होगा
ईश्वर के बगैर जीना

शुक्रवार, 7 जून 2013

क्षणिका : घर

पशु-पक्षियों के कैदखाने का नाम चिड़ियाघर
मछलियों के कैदखाने का नाम मछलीघर
बड़ा चालाक है इंसान
इंसानों के कैदखाने का नाम तो जेल रखा
बाकी सब के कैदखानों के नाम घर जैसे रखे

बुधवार, 24 अक्तूबर 2012

क्षणिका : संवेग

अत्यधिक वेग से उच्चतम बिंदु पर पहुँचने वाले को
स्वयं का संवेग ही नीचे ले जाता है।

नियंत्रित संवेग के साथ धीरे धीरे ऊपर चढ़ने वाला ही
उच्चतम बिंदु पर अपना संवेग शून्य कर पाता है
और इस तरह देर तक उच्चतम बिंदु पर टिका रह पाता है।

शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2012

सोमवार, 26 मार्च 2012

क्षणिका : सूरज

धरती के लिए सूरज देवता है
उसकी चमक, उसका ताप
जीवन के लिए एकदम उपयुक्त हैं

कभी पूछो जाकर बाकी ग्रहों से
उनके लिए क्या है सूरज?

बुधवार, 4 जनवरी 2012

क्षणिका : चर्बी

वो चर्बी
जिसकी तुम्हें न अभी जरूरत है
न भविष्य में होगी
वो किसी गरीब के शरीर का मांस है

शुक्रवार, 16 दिसंबर 2011

क्षणिका : आँच

हमारे तुम्हारे बीच
भले ही अब कुछ भी नहीं बचा
मगर तुम्हारे दिल में जल रही लौ से
मैं आजीवन ऊर्जा प्राप्त करता रहूँगा
क्योंकि आँच अर्थात अवरक्त विकिरण को चलने के लिए
किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती