जब तक रहना जीवन में
फुलवारी बन रहना
पूजा बनकर मत रहना
तुम यारी बन रहना
दो दिन हो या चार दिनों का
जब तक साथ रहे
इक दूजे से सबकुछ कह दें
ऐसी बात रहे
सदा चहकती गौरैया सी
प्यारी बन रहना
फटे-पुराने रीति-रिवाजों को
न ओढ़ लेना
गली मुहल्ले का कचरा
घर में न जोड़ लेना
देवी बनकर मत रहना
तुम नारी बन रहना
गुस्सा आये तो जो चाहो
तोड़-फोड़ लेना
प्यार बहुत आये तो
ये तन-मन निचोड़ लेना
आँसू बनकर मत रहना
सिसकारी बन रहना
यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार २९ नवंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद स्वेता जी
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद अनुराधा जी
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंउम्दा लिखावट ऐसी लाइने बहुत कम पढने के लिए मिलती है धन्यवाद् (सिर्फ आधार और पैनकार्ड से लिजिये तुरंत घर बैठे लोन)
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंआप यहाँ बकाया दिशा-निर्देश दे रहे हैं। मैंने इस क्षेत्र के बारे में एक खोज की और पहचाना कि बहुत संभावना है कि बहुमत आपके वेब पेज से सहमत होगा।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंसुन्दर कविता है, बहुत खूब लिखती है आप लाजवाब
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंबहुत बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंऐसी पोस्ट बहुत कम पढ़ने मिलती हैं। धन्यवाद (WithOut Document, Loan Apply online वो भी घर बैठे )
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