रविवार, 3 नवंबर 2019

नवगीत : तेरा हाथ हिलाना

ट्रेन समय की
छुकछुक दौड़ी
मज़बूरी थी जाना
भूल गया सब
याद रहा बस
तेरा हाथ हिलाना

तेरे हाथों की मेंहदी में
मेरा नाम नहीं था
केवल तन छूकर मिट जाना
मेरा काम नहीं था

याद रहेगा तुझको
दिल पर
मेरा नाम गुदाना

तेरा तन था भूलभुलैया
तेरी आँखें रहबर
तेरे दिल तक मैं पहुँचा
पर तेरे पीछे चलकर

दिल का ताला
दिल की चाबी
दिल से दिल खुल जाना

इक दूजे के सुख-दुख बाँटे
हमने साँझ-सबेरे
अब तेरे आँसू तेरे हैं
मेरे आँसू मेरे

अब मुश्किल है
और किसी के
सुख-दुख को अपनाना

6 टिप्‍पणियां:

  1. अब मुश्किल है
    और किसी के
    सुख-दुख को अपनाना
    प्रिय सज्जन जी . आज पहली बार आकर आपके लेखन से परिचय हुआ | यही है प्रेम की प्रगाढ़ता कि एक के बाद दूसरे से वही व्यवहार अभिनय ही होगा ना ? सुंदर रचना | हार्दिक शुभकामनायें और बधाई |

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  2. Thank you for sharing this valuable information. Your articles are always very informative.

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