ग्रेविटॉन

यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।

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शनिवार, 19 फ़रवरी 2022

समय सत्ता यू ट्यूब चैनल पर मेरी ग़ज़ल "ये झूठ है अल्लाह ने इंसान बनाया" का वीडिओ देखें

 


प्रस्तुतकर्ता ‘सज्जन’ धर्मेन्द्र पर 11:55 pm कोई टिप्पणी नहीं:
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