सोमवार, 3 सितंबर 2012

विज्ञान के विद्यार्थी की प्रेम कविता - 5

लगता है विज्ञान के विद्यार्थी की प्रेम कविताओं की एक श्रृंखला ही बनानी पड़ेगी। पेश है अगली कविता।

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‘ऋण’
मुझमें से तुमको घटा नहीं सका
‘धन’
तुमको मुझसे जोड़ नहीं सका
‘घात’
से कोई फर्क नहीं पड़ा हमपर
किसी भी ‘आधार’ पर लिया गया ‘लॉग’
कम नहीं कर पाया इस दर्द को
‘अवकलन’
नहीं निकाल सका इसके घटने या बढ़ने की दर
‘समाकलन’
नहीं पहुँच सका उस अनंततम सूक्ष्म स्तर पर
कि निकाल सके इसका क्षेत्रफल और आयतन

गणित और विज्ञान
अपनी सारी शक्ति लगाने के बावजूद
खड़े रह गए मुँह ताकते
उस ढाई आखर को समझने में
जिसे सैकड़ों साल पहले
एक अनपढ़ जुलाहे ने समझ लिया था

बुधवार, 29 अगस्त 2012

ग़ज़ल : हाल-ए-दिल उससे कह पाना सब के बस की बात नहीं


गहराई से वापस आना सबके बस की बात नहीं
सागर तल से मोती लाना सबके बस की बात नहीं

कुछ तो है हम में जो मरते दम तक साथ निभाते हैं
हर दिन रूठा यार मनाना सबके बस की बात नहीं

जादू है उसकी बातों में वरना खुदा कसम मुझसे
अपनी बातें यूँ मनवाना सबके बस की बात नहीं

कुछ बातें, कुछ यादें, कुछ पागल लम्हे ही हैं वरना
जीवन भर मुझको तड़पाना सबके बस की बात नहीं

आशिक ताक रहे दिल अपना लेकर आँखों में लेकिन
हाल-ए-दिल उससे कह पाना सब के बस की बात नहीं

शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

कविता : तुम बारिश और पहाड़

बारिश ने पहाड़ों को उनका यौवन लौटा दिया है

दो पास खड़े पहाड़ हरे दुपट्टे के नीचे तुम्हारे वक्ष हैं
मैं धरती द्वारा साँस खींचे जाने की प्रतीक्षा करता हूँ

गोरे पानी से भरी झील तुम्हारी नाभि है
मैं नैतिकता के पिंजरे में फड़फड़ाता हुआ तोता हूँ
जिसे ये रटाया गया है कि गोरे पानी में नहाने से आत्मा दूषित हो जाती है

प्रेम का रंग हरा है

हर बादल को कहीं न कहीं बरसना पड़ता है
मगर सारी बरसातें बादलों से नहीं होती

भीगी पहाड़ी सड़कें तुम्हारे शरीर के गीले वक्र हैं
मैं डरा हुआ नौसिखिया चालक हूँ

डर हिमरेखा है
जिससे ऊपर प्रेम के बादल भी केवल बर्फ़ बरसाते हैं
हरियाली का सौंदर्य इस रेखा के नीचे है

दूब से बाँस तक
हरा सबके भीतर होता है
हरा होने के लिए सिर्फ़ हवा, बारिश और धूप चाहिए

बरसात में गिरगिट भी हरा हो जाता है
उससे बचकर रहना

सारी नदियाँ इस मौसम में तुम्हारे काले बालों से निकलती हैं
फिर भी मेरी प्यास नहीं बुझती

लोग कहते हैं बरसात के मौसम में पहाड़ों का सीजन नहीं होता
हर बारिश में कितने ही पहाड़ आत्महत्या कर लेते हैं

तुम बारिश और पहाड़
जान लेने के लिए और क्या चाहिए

शुक्रवार, 10 अगस्त 2012

बालगीत : लैपटॉप की बीमारी


लैपटॉप ये पापा का
बहुत बुरा मुझको लगता
जाकर उनकी गोदी में
दिन दिन भर बैठा रहता
ये नन्हा मुन्ना बच्चा
सारा दिन तरसा करता

इक दिन बोलीं टीचर जी
पानी दुश्मन बिजली का
बाथरूम में थे उस दिन
जब मेरे प्यारे पापा
मैं कपड़े की इक पट्टी
गीली कर के ले आया

लैपटॉप गीला क्यूँ है
मुझसे पूछें पापा जी
गर्म हुआ इसका माथा
बर्फ़ीली पट्टी रख दी
अब क्या करते बेचारे
बोले तुमने हद कर दी

लेकिन समझदार पापा
समझ गए सब जल्दी ही
बोले बेटे जान गया
मैं तेरी हरकत सारी
और इस तरह दूर हुई
लैपटॉप की बीमारी

गुरुवार, 9 अगस्त 2012

ग़ज़ल : जानम कैसा मुझको बना दिया


जानम कैसा मुझको बना दिया
अपने जैसा मुझको बना दिया

भूल हुई है तुमसे तो भुगतो
क्योंकर ऐसा मुझको बना दिया

नफ़रत की थी जिससे जीवन भर
रब ने वैसा मुझको बना दिया

गा गाकर सबने इसकी महिमा
केवल पैसा मुझको बना दिया

मान खुदा लूँगा उसको जिसने
मेरे जैसा मुझको बना दिया

शनिवार, 4 अगस्त 2012

कविता : प्रेम की परखनली में ईश्वर का संश्लेषण

आपके मुँह में छाले हैं तो क्या हरी मिर्च को मीठा हो जाना चाहिए

अगर राहु और केतु कल्पनाएँ हैं
तो जिन कहानियों से राहु और केतु जन्मे हैं वो?
हर देश में, हर धर्म में
झूठ इतनी आसानी से अमर क्यों हो जाते हैं?

धर्मग्रंथों में अच्छी कहानियाँ और नीतिपरक उपदेश होते हैं ईश्वर नहीं

खूबसूरत कल्पनाएँ सच मानी जाने के लिए अभिशप्त हैं

‘सत्य ही शिव है, शिव ही सुंदर है’ से बड़ा सच ‘सुंदर ही शिव है, शिव ही सत्य है’ होता है

तीव्रता में, प्रसार में, नुकसान में
धर्म दुनिया का सबसे बड़ा नशा है
नशा करने की खुली छूट मदहोशी पर खत्म होती है
जिसे धर्म का डॉक्टर स्वास्थ्य का उच्चतम बिंदु कहता है

आस्तिकों से उनका विश्वास छीनने की कोशिश करने वालों को राक्षस कहा गया
क्या नास्तिकों से उनका अविश्वास छीनने की कोशिश राक्षसत्व नहीं है?

आस्तिकता पैतृक संपत्ति है
नास्तिकता स्वयं के खून पसीने की कमाई

पूर्ण आस्तिक या पूर्ण नास्तिक होना लगभग असंभव है
लोग अपनी सुविधानुसार इन दोनों के बीच का कोई रास्ता चुनते है

हम कुछ नया करने से ज्यादा महत्वपूर्ण पुराने कूड़े को सुरक्षित रखना समझते हैं

प्रशंसा सत्तालोभी और अप्सराभोगी देवताओं को प्रसन्न कर सकती है ईश्वर को नहीं
देवता का विलोम राक्षस नहीं होता

ऐसा क्यूँ है?
इस प्रश्न का उत्तर दुर्धर और अविश्वसनीय है
क्या होना चाहिए?
सब इसका उत्तर जानते हैं
काश! कि सच इससे उल्टा होता

जटिल सिद्धान्तों का सरलीकरण उन्हें विकृत कर देता है
सिद्धान्तों की सही समझ अपवादों को समझे बिना असंभव है

धार्मिक साहित्यकारों ने अपने समय का सच लिखा होता
तो वो कब का मिटा दिया गया होता
किंतु मीठा मधुमेह के रोगी हेतु जहर है

जिनके घर शीशे के होते हैं
वो सबको हमेशा यही उपदेश देते हैं
कि पत्थर मारना बुरी बात है

क्वांटम सिद्धांत के अनुसार
अँधेरे बंद कमरे में इंसान न जिंदा होता है न मुर्दा
लेकिन रोशनी की एक किरण भी उसे जीवित कर सकती है

कितने लोग स्वप्न देखते समय आँखें खुली रखते हैं?

दुनिया के सबसे ताकतवर शब्दों का सबसे ज्यादा दुरुपयोग होता आया है
जैसे प्यार, धर्म, ईश्वर, सत्ता.....
शक्ति समय के आरंभ से ही अभिशप्त है

जाति, धर्म, प्रदेश, देश.....
हर पंक्षी अपना पिंजरा खुद चुनता है

आसमान केवल एक भ्रम है
जहाँ पहुँचने पर चारों तरफ अँधेरा ही अँधेरा दिखाई पड़ता है
दूर से देखने पर जमीन आसमान से भी खूबसूरत दिखाई पड़ती है

गर्व अहंकार का पिता है
वीररस की सारी रचनाएँ मृत्यु की आरती हैं

स्वयं के साथ बलात्कार करने पर
हर बार दर्द से मर जाता हूँ
मेरा एक पाँव बर्फ़ में है दूसरा आग में

चेतना एक भ्रम है जिसके बिना सारी वास्तविकताएँ अर्थहीन हैं

तुलसी को मैं तबसे सुनता आया हूँ
जब मुझे शब्दों के सामान्य अर्थ भी नहीं पता थे

कितने लोग अपने जीवन में तुलसी जैसों से मुक्ति पाते हैं?

तुलसी महान प्रेमी थे
प्रेम का घनत्व बढ़ने के साथ साथ उसकी कोमलता भी बढ़ती जाती है
प्रेम में घातक चोट खाई थी तुलसी ने और भीतर तक टूटे थे
इसलिए वो न कभी अपना सच लिख सके
न अपने राम का

अच्छे साहित्यकार चेचक की तरह होते हैं
बीमारी समय खत्म कर देता है लेकिन निशान हमेशा रहते हैं

शब्द मेरे चेहरे पर उगते हैं
नियमित शेव न करूँ तो असभ्य लगने लगता हूँ

क्या लिखा जाय
आज का बदसूरत सच या आने वाले कल के लिए एक खूबसूरत झूठ

मूर्तियों ने हमेशा इंसानों से ज्यादा बेहतर जीवन जिया है
देवताओं ने यूँ ही मूर्तियों में अपना घर नहीं बनाया

बिग बैंग के समय पल भर के लिए सिर्फ़ रोशनी थी
अँधेरा रोशनी का बेटा है

सृजन जन्म की प्रक्रिया है
जल्दी जन्म होने पर बच्चे की जान जा सकती है
देर होने पर माँ की

क्वांटम सिद्धांत और क्रमिक विकास के सिद्धांत के अनुसार
अनिश्चितताएँ न होतीं तो प्रकृति सारे कमजोरों का नामोनिशान मिटा देती
प्रकाश की सीमा उसकी तरंगदैर्ध्य है
प्रकाश जो नहीं दिखा पाता उसे अनिश्चितताएँ दिखा देती हैं
धर्म का सबसे घातक हथियार अनिश्चितताएँ हैं
धर्म को सबसे ज्यादा डर भी अनिश्चितताओं से लगता है

मीठापन सड़कर कड़वी शराब बन जाता है
कड़वाहट वक्त के साथ कम होती जाती है और नशा बढ़ता जाता है
मिठास समय के साथ नशा बन जाने के लिए अभिशप्त है

सिर्फ पानी ही बिना बहके शराब को पूरी तरह पी सकता है
बाकी सब नशा पीते हैं
पानी सृष्टि के प्रारंभ से अब तक वैसे का वैसा है
बड़ा कठिन है पानी होना

विज्ञान नशे का एंटीडोट है

हम जो करने जा रहे हैं वो पाप है
यह जानने से ज्यादा जरूरी है पाप शब्द पर विश्वास करना

जिंदगी के लिए जितना जरूरी है ये सच जानना
कि सूरज आग का एक दहकता हुआ गोला है
जिसके भीतर लगातार हाइड्रोजन परमाणु के नाभिक संलयन करके हीलियम का नाभिक बनाते रहते हैं
उतनी ही जरूरी है ये कल्पना कि सूरज एक देवता है
जो अपने सात घोड़ों वाले रथ पर सवार होकर दिनभर चलता रहता है
और जरूरी ये भी है कि समझा जाए
कल्पना और सच के बीच का स्पष्ट अंतर
क्योंकि सच और कल्पना जब एक दूसरे की कुर्सी पर बैठते हैं तो सिर्फ़ विनाश होता है

ईश्वर कोई कवि या लेखक या मूर्तिकार या चित्रकार होगा
वह अपनी सर्वश्रेष्ठ कृति बना चुका है या नहीं
इसमें उसे स्वयं संदेह है

ईश्वर का भविष्य पर नियंत्रण होता
तो वो अपनी सर्वश्रेष्ठ कृति सबसे पहले बनाता

ब्रह्मांड की उत्पत्ति का महासिद्धांत खोजे जाने के बाद
मानव शायद देख सके अपना सबसे संभावित भविष्य
क्या इसीलिए ईश्वर जब तब मानव की मदद करने आता है
क्या ईश्वर भी भविष्यलोभी है?

फूल पेड़ के स्वप्न हैं
कच्चे फल महत्वाकांक्षाएँ
फलों का पक कर गिरना वास्तविकता

पेड़ हर साल वो दुख झेलता है
जो इंसान जीवन में एक बार भी झेल नहीं पाता

पत्थर खाकर फल देना
पेड़ की उदारता नहीं उसकी लाचारी है
अपने हत्यारे को आक्सीजन देकर जिंदा रखना उसकी आदत है

पकने के बाद भी जो फल पेड़ से चिपके रहते हैं
वो सड़ जाते हैं
गुरुओ! चेलों को अपने गुरुत्व से मुक्त कर दो

पेड़ हँसता है
काटने वाले की मूर्खता पर

सुख
बेफ़िक्री से प्यार करता है
सुविधा से शारीरिक संबंध रखता है
दुख का पति है

हम इंसान का मुखौटा लगाए जानवर हैं

प्रेम की परखनली बिना ईश्वर का संश्लेषण असंभव है
हटा दो बाकी सारे यंत्र, पात्र, मर्तबान, समीकरणें, किताबें, पुस्तिकाएँ
जो केवल इसलिए बनाए गए हैं
ताकि ईश्वर के सभी अवयवों की सही मात्रा तक कभी इंसान पहुँच ही न सके

प्रेम की परखनली अपने अभिकर्मक स्वयं खोज लेती है

नफ़रत की अभिव्यक्ति में शब्द कम पड़ते हैं
प्रेम की अभिव्यक्ति शब्दहीन होती है

कुछ मुझ से प्रेम करते हैं
कुछ से मैं प्रेम करता हूँ
दुनिया शब्दों से प्रेम करती है

कामी शब्द ढूँढते हैं
प्रेमी शब्दों से मुक्ति

दिल सिर्फ़ तुम्हें चाहता है
दिमाग तुम्हारा सबसे अच्छा विकल्प ढूँढता है

वो लोग जिनके दिल और दिमाग समान रूप से कार्यशील थे
प्रकृति ने उन्हें विकास क्रम में लुप्तप्राय बना दिया
घरेलू झगड़ों से फ़ायदा हमेशा बाहरी लोगों को होता है

सतह पर पृष्ठ तनाव रहता है
गहराई में अँधेरा
पानी थोड़ी ही गहराई तक पारदर्शी होता है
उसके बाद वो प्रकाश को वापस घुमा देता है या सोख लेता है

मेरी उँगलियाँ जब तुम्हारे गालों का स्पर्श करती हैं
उँगलियों के इलेक्ट्रॉन तुम्हारे गालों के इलेक्ट्रॉनों को धक्का भर देते हैं
छूना नहीं कहते इसे

घर्षण से कुछ इलेक्ट्रॉनों का आदान प्रदान होता है
छूना नहीं कहते इसे भी

तुम्हारा प्यार मेरे होंठ हैं
खाते समय कभी कभी होंठ कट ही जाते हैं
शुक्र है कि लार में जीवित नहीं रह पाते सड़न पैदा करने वाले जीवाणु
इसलिए होंठों के घाव जल्दी भर जाते हैं
क्रमिक विकास में हमने होंठों को बचा कर रखना सीख लिया है

बादल आँसू बहाते हैं और रेगिस्तान रोता है
रोने वालों की आँखें अक्सर सूखी रहती हैं
आँसू बहाने वाले अक्सर रोते नहीं

सच कड़वा नहीं होता
बस इसका स्वाद अलग होता है, कॉफ़ी की तरह

कितनी सारी ग़ज़लें जबरन कहे गए मत्ले के साथ जीती हैं
कितने सारे मत्ले भर्ती के अश’आर संग निबाहते हैं
मुकम्मल ग़ज़लें दुनियाँ में होती ही कितनी हैं

तुम भूलभुलैया हो
हर बार तुम्हारी आत्मा तक पहुँचते पहुँचते मैं राह भटक जाता हूँ

तुम्हारे हाथों पर किसी और की लगाई मेरे नाम की मेंहदी नहीं हूँ मैं
जिसे चार कपड़े और चार बर्तन, चार दिन में हमेशा के लिए मिटा देंगे

मैं तुम्हारी आत्मा की तलाश में निकला वो मुसाफिर हूँ
जो कभी अपनी मंजिल तक नहीं पहुँच पाएगा
लेकिन ये जानते हुए भी तुम्हारी आत्मा हमेशा जिसका इंतजार करेगी

हर चाँद का एक हिस्सा ऐसा होता है जिसे धरती कभी नहीं देख पाती

प्रेम पर लिखी कोई कविता कभी पूर्ण नहीं होती

प्रकाश सूरज का प्यार है
आवेशित कण प्यार का बाईप्रोडक्ट हैं
हर धरती के सीने में खौलते हुए लावे से बना चुंबकीय क्षेत्र सूरज से उसकी रक्षा करता है

छोटे और आसान रास्ते से मंजिल तक पहुँचने वाला भगोड़ा होता है
जीवन के सारे आनंद लंबे और कठिन रास्ते पर होते हैं
मंजिल कुछ नहीं जानती आनंद और रास्तों के बारे में
मंजिल पर सिर्फ़ नशा मिलता है

तुमको छू कर आता हुआ प्रकाश
मेरी आँख का पानी है

तुमको सोते हुए देखना
तुममें घुलना है

कपड़े तुम्हारे जिस्म से उतरते ही मर जाते हैं
साँस तुम्हारे जिस्म से निकलते ही भभक उठती है
चूड़ियाँ तुम्हारे हाथों से निकलकर गूँगी हो जाती हैं
तुम गहने पहनना छोड़ दो तो क्या इस्तेमाल रह जाएगा अनमोल पत्थरों का
तुम न होती तो पुरुष अपने झूठे अहंकार के लिए लड़ भिड़ कर कब का खत्म हो गए होते

तुम्हारे छूने भर से बेजुबान चीजें गुनगुनाने लगती हैं
जीवन तुम्हारी छुवन में है
मौत पुरुषों की भुजाओं में

पहचानो अपनी जीवनदायिनी शक्ति
मृत्यु देने वाली भुजाओं को छूकर उन्हें जीवन से भर दो
एक बार फिर जानवरों को इंसान बना दो

ईश्वर तक पहुँचने के रास्ते का एकमात्र द्वार नारी के दिल में होता है

नारी के दिल तक पहुँचने के रास्ते में ढेर सारे मंदिर, मस्जिद, धर्मग्रंथ, धर्मगुरु.....
ठेला लगाकर “ईश्वर ले लो, ईश्वर ले लो, सस्ता सुंदर और टिकाऊ ईश्वर ले लो” की आवाज लगाते रहते हैं

“नारी नरक का द्वार है” आज तक का सबसे भयानक झूठ है।

प्रेम को सदियों से दिए जा रहे ज़हर के बावजूद भी
प्रेम अपने हर रूप में इसीलिए फल फूल रहा है
क्योंकि ईश्वर मरा नहीं करता

सपना बहुत खूबसूरत है
मगर मैं मौत से पहले एक बार जागना चाहता हूँ

कितनी भी रेखाएँ खींच लो
दो रेखाओं के बीच एक और रेखा खींचने की जगह हमेशा बची रहती है

अनंततम सूक्ष्म हिस्सों में तोड़ने के बाद ही
समाकलन शत प्रतिशत शुद्ध योगफल दे पाता है
उन आकारों के लिए भी जो सामान्य प्रक्रियाओं से जोड़े जाने असंभव हैं

सबसे विनाशकारी है ये मानना कि जो हम जानते हैं वही सही है बाकी सब गलत

नास्तिकों ने मानवता को कितना नुकसान पहुँचाया है?
तुलना कीजिए उस नुकसान से जो उन परम धार्मिक लोगों ने इंसानियत को पहुँचाया
जो ये मानते हैं कि घोर पाप भी माफ़ी माँगने और कुछ कर्मकांडों से धुल जाएँगें

हर शिव ये जानता है कि कामदेव के बिना सृष्टि का चलना असंभव है
किंतु हर शिव कामदेव को भस्म करने का नाटक रचता है
परिणाम?
कामदेव अजेय हो कर वापस आता है

जरूरत से ज्यादा घनत्व कृष्ण विवर का निर्माण करता है
कृष्ण विवर किसी के किसी काम नहीं आता
कृष्ण विवर शक्ति की कभी न मिटने वाली भूख का रोगी है
आवश्यकता से अधिक शक्ति कृष्ण विवर बनने के लिए अभिशप्त है
कृष्ण विवर सबकुछ अपने जैसा बना देना चाहता है

बहुत कम सूरज ऐसे होते हैं जिनकी पृथ्वी पर जीवन होता है

13.7 अरब साल लगे हैं मूल कणों को सूचनाएँ का वो सही क्रम जानने में
जिसमें एक दूसरे से जुड़कर वो एक इंसानी दिमाग बना देते हैं

ईश्वर हमारे ब्रह्मांड के बाहर खड़ा तमाशाई है
जो अपना दिल बहलाने के लिए रोज नए धमाके करता है

कितनी बार ईश्वर ने ऐसे ब्रह्मांड बनाने की कोशिश की जहाँ भविष्य निश्चित था
पर निश्चित भविष्य आत्मघाती होता है

फिर ईश्वर ने रचीं अनिश्चितताएँ
और जी उठे ब्रह्मांड

ईश्वर जिस ब्रह्मांड में जाता है उसके नियमों का पालन करता है

अनिश्चितताओं के कारण
ईश्वर न हर पाप का दंड दे सकता है, न हर पुण्य का फल
इसीलिए हार कर उसे कहना पड़ता है कि कर्म करो फल की चिंता मत करो

हर ब्रह्मांड ये समझता है कि ईश्वर ने उसका निर्माण किसी खास उद्देश्य से किया है

सभी संख्याओं का योग शून्य होता है