जब से
फलों से लदी हुई डालियों ने
झुकने से मना कर दिया
फलों ने
झुकी हुई डालियों पर लदना शुरू कर दिया
अब कहावत बदल चुकी है
आजकल जो डाल
जितना ज्यादा झुकती है
वो उतना ही ज्यादा फलती है
यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।
umda soch liye hue badhiya prastuti
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