फूल हैं आग के
खिले हर सू
रौशनी की महक बहे
हर सू
यूँ बिछे आज आइने हर सू
आसमाँ सी जमीं दिखे हर सू
लौट कर मायके से
वो आईं
दीप ख़ुशियों के
जल उठे हर सू
वो दबे पाँव आज आया है
एक आहट सी दिल
सुने हर सू
दूसरों के तले उजाला कर
ये अँधेरा भी अब मिटे हर सू
नाम दीपक का हो
रहा ‘सज्जन’
तन मगर तेल का
जले हर सू
बहुत सुंदर ...
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभ-कामनाएं ।