बुधवार, 20 जुलाई 2016

ग़ज़ल : सब आहिस्ता सीखोगे

जल्दी में क्या सीखोगे
सब आहिस्ता सीखोगे

इक पहलू ही गर देखा
तुम बस आधा सीखोगे

सबसे हार रहे हो तुम
सबसे ज़्यादा सीखोगे

सबसे ऊँचा, होता है,
सबसे ठंडा, सीखोगे

सूरज के बेटे हो तुम
सब कुछ काला सीखोगे

सीखोगे जो ख़ुद पढ़कर
सबसे अच्छा सीखोगे

पहले प्यार का पहला ख़त
पुर्ज़ा पुर्ज़ा सीखोगे

ख़ुद को पढ़ लोगे जिस दिन
सारी दुनिया सीखोगे

हाकिम बनते ही ‘सज्जन’
सब कुछ खाना सीखोगे

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