यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।
शुक्रवार, 3 दिसंबर 2021
नवगीत : रखें सावधानी कुहरे में
सूरज दूर गया धरती से
तापमान लुढ़का
बड़ा पारदर्शी था पानी
बना सघन कुहरा
लोभ हवा में उड़ने का
कुछ ऐसा उसे लगा
पानी जैसा परमसंत भी
संयम खो बैठा
फँसा हवा के अलख जाल में
हो त्रिशंकु लटका
आता है सबके जीवन में
एक समय ऐसा
आदर्शों से समझौता
करवा देता पैसा
किन्तु कुहासा कुछ दिन का
स्थायी साफ हवा
जैसे-जैसे सूरज ऊपर
चढ़ता जायेगा
बूँद-बूँद कर कुहरे का मन
गलता जायेगा
रखें सावधानी कुहरे में
घटे न दुर्घटना
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