शुक्रवार, 3 दिसंबर 2021

नवगीत : रखें सावधानी कुहरे में


सूरज दूर गया धरती से
तापमान लुढ़का
बड़ा पारदर्शी था पानी
बना सघन कुहरा

लोभ हवा में उड़ने का
कुछ ऐसा उसे लगा
पानी जैसा परमसंत भी
संयम खो बैठा

फँसा हवा के अलख जाल में
हो त्रिशंकु लटका

आता है सबके जीवन में
एक समय ऐसा
आदर्शों से समझौता
करवा देता पैसा

किन्तु कुहासा कुछ दिन का
स्थायी साफ हवा

जैसे-जैसे सूरज ऊपर
चढ़ता जायेगा
बूँद-बूँद कर कुहरे का मन
गलता जायेगा

रखें सावधानी कुहरे में
घटे न दुर्घटना

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