शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2012

क्षणिका : सदिश प्रेम


केवल परिमाण ही काफ़ी नहीं है
आवश्यक है सही दिशा भी
प्रेम सदिश है

2 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेम सदिश कवि कह रहा , सदिश रहे विश्वास ।

    संरेखी हरदम रहें, जगी रहेगी आस ।

    जगी रहेगी आस, मगर विक्षोभ अदिश सा ।

    रहे सदा ही साथ, हकीकत का यह हिस्सा ।

    बढ़ता जब परिमाण, बड़ा परिणाम भयानक ।

    हंसी ख़ुशी की कथा, दुखान्ती होय कथानक ।।

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