सोमवार, 18 जुलाई 2016

कविता : तुम मुझसे मिलने जरूर आओगी

तुम मुझसे मिलने जरूर आओगी
जैसे धरती से मिलने आती है बारिश
जैसे सागर से मिलने आती है नदी

मिलकर मुझमें खो जाओगी
जैसे धरती में खो जाती है बारिश
जैसे सागर में खो जाती है नदी

मैं हमेशा अपनी बाहें फैलाये तुम्हारी प्रतीक्षा करूँगा
जैसे धरती करती है बारिश की
जैसे सागर करता है नदी की

तुमको मेरे पास आने से
कोई ताकत नहीं रोक पाएगी
जैसे अपनी तमाम ताकत और कोशिशों के बावज़ूद
सूरज नहीं रोक पाता अपनी किरणों को

8 टिप्‍पणियां:

  1. आत्मविश्वास की जीत होती है ..
    बहुत सुन्दर
    लो कविता ने सुन ली

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  2. ये प्रेम है या कोई बंधन पर उनको आना है ज़रूर ... अच्छी रचना है ...

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  3. विश्वास और प्यार की ताकत का कोई मोल नहीं

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