मेरा पहला नवगीत संग्रह लोकोदय प्रकाशन, लखनऊ से प्रकाशित हो गया है। नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करके आप इसे अमेजन (www.amazon.in) से मँगा सकते हैं। इस संग्रह को लोकोदय नवलेखन सम्मान से सम्मानित किया गया है।
यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।
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Bahut badhai aapko
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद
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