बह्र : २१२२ २१२२ २१२२ २
तेज़ चलना चाहता है तो अकेला चल
दूर जाना चाहता तो ले के मेला चल
खा के मीठा हर जगह से आ गया है तू
स्वस्थ रहना है तुझे तो खा करेला चल
सूर्य चढ़ने दे जरा, इस काँच के घर में
साँप ख़ुद मर जाएँगें, तू फेंक ढेला, चल
जिन्दगी अनजान राहों से गुजरती है
एक भटकेगा यकीनन हो दुकेला चल
चल रही आकाशगंगा चल रहे तारे
चल रहा जग तू भी अपना ले झमेला चल
शुक्रिया यशोदा जी
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ..
जवाब देंहटाएंनए साल की हार्दिक मंगलकामनाएं!
शुक्रिया कविता जी
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ओंकार जी
हटाएंखा के मीठा हर जगह से आ गया है तू
जवाब देंहटाएंस्वस्थ रहना है तुझे तो खा करेला चल ..
बहुत ही गज़ब का शेर ... लाजवाब गज़ल है धर्मेन्द्र जी ... सुभान अल्ला ... नव वर्ष मंगलमय हो ...
बहुत बहुत शुक्रिया दिगंबर जी
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