सोमवार, 21 नवंबर 2011

कविता : सजा

दुनिया की ऐसी कौन सी जगह है
जहाँ ईश्वर और धर्म के नाम पर
कत्ल नहीं किए गए?

दुनिया का ऐसा कौन सा धर्म है
जो समय बीतने के साथ साथ
सड़ नहीं रहा है?

दर’असल ये सजा है
जो दे रहा है ईश्वर इंसानों को
कुछ मानवों को ईश्वर बना देने की
और कुछ मानवों द्वारा कही एवं लिखी गई बातों को
धर्म बना देने की

11 टिप्‍पणियां:

  1. विचारोत्प्रेरक रचना....
    सादर बधाई....

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  2. kan shabdo me apar bhawnao ko vykt karne ki kala koi apse sikhe......mere pas shabd bhi nabache....kya kahoon ...shreshth ya srwashreshtha

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  3. विचारणीय अभिव्यक्ति.... समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है

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  4. आदरणीय धरर्मेन्द्र जी
    जो धर्म और मजहब के नाम पर अपनी अपनी दुकान चला रहे हैं उन्हें आपकी उपरोक्त पक्तियों में अपने विरूद्व जरूर साझिश नजर आयी होगी। इतने सरल शब्दों में इतनी बेबाकी से सच को समाने रखने के लिये आपको बधाई

    अशोक कुमार शुक्ला

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  5. बिलकुल सही कह रही है आपकी रचना.

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  6. "दर’असल ये सजा है
    जो दे रहा है ईश्वर इंसानों को
    कुछ मानवों को ईश्वर बना देने की
    और कुछ मानवों द्वारा कही एवं लिखी गई बातों को
    धर्म बना देने की"

    कितने सरल शब्दों में कितनी बड़ी बात कह दी आपने! समाज का एक असुंदर सत्य और बड़ी विडंबना ! जो धर्म प्रेम के लिये होना चा्हिए वही नफ़रत, हिंसा और दंगों का बड़ा कारण बनता है !

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जो मन में आ रहा है कह डालिए।