शनिवार, 22 मार्च 2014

ग़ज़ल : सत्य लेकिन हजम नहीं होता

बह्र : २१२२ १२१२ २२

झूठ में कोई दम नहीं होता
सत्य लेकिन हज़म नहीं होता

अश्क बहना ही कम नहीं होता
दर्द, माँ की कसम नहीं होता

मैं अदम* से अगर न टकराता
आज खुद भी अदम नहीं होता

दर्द--दिल की दवा जो रखते हैं
उनके दिल में रहम नहीं होता

शेर में बात अपनी कह देते
आपका सर कलम नहीं होता

*अदम = शून्य, अदम गोंडवी

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