रविवार, 22 नवंबर 2009

आओ अब तो अपने आदर्श बदल लें हम।

आओ अब तो अपने आदर्श बदल लें हम।

 

यदि राम-कृष्ण को हम अपना आदर्श रखेंगें,

सीता-राधा के प्रश्नों का क्या उत्तर देंगें,

आओ ऐसे कुछ उच्चादर्श बदल लें हम,

आओ अब तो अपने आदर्श बदल लें हम।

 

आँखें मिलना, दिल दे देना, कुछ बातें और मुलाकातें,

फिर निरी वासना तृप्ति और अलगाव बिताकर कुछ रातें,

आओ सब मिल प्यार को पुनः परिभाषित तो कर दें हम,

आओ अब तो अपने आदर्श बदल लें हम।

 

लोकतंत्र, आम-चुनाव, राजनीति, नेता, कुर्सी,

इतने निर्दोष मरे हैं इनके कारण कि,

शब्दकोश में ऐसे कुछ शब्दों के अर्थ बदल लें हम,

आओ अब तो अपने आदर्श बदल लें हम।

 

इक पत्नी, इक घर, दो बच्चे, थोड़ा सा नाम कमाने को,

अपनी आत्मा से हर पग पर समझौता करना पड़ता हो,

तो आओ अब अपने जीवन लक्ष्य बदल लें हम,

आओ अब तो अपने आदर्श बदल लें हम।

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