बुधवार, 4 नवंबर 2009

तो मैं अधर्मी ही भला हूँ ।

तो मैं अधर्मी ही भला हूँ ।

 

धर्म कहता है अगर,

इक भूखे को दुत्कार कर,

तू पूण्य बहु अर्जित करेगा,

मूर्ति पर पय ड़ालकर,

तो मैं अधर्मी ही भला हूँ ।

 

धर्म कहता है अगर,

तू चाहे जितने पाप कर,

धुल जायेंगे सब पाप पर,

गंगा में डुबकी मार कर,

तो मैं अधर्मी ही भला हूँ।

 

धर्म कहता है अगर,

लाखों धरों को तोड़कर,

मन्दिर बना दे एक तो,

तुझको मिलेगा स्वर्ग, गर,

तो मैं अधर्मी ही भला हूँ ।

 

धर्म कहता है अगर,

जो धर्म के तेरे नहीं,

जन्नत मिलेगी यदि,

तू उनको मारेगा जेहाद कर,

तो मैं अधर्मी ही भला हूँ ।

1 टिप्पणी:

  1. धर्म कहता है अगर,

    जो धर्म के तेरे नहीं,

    जन्नत मिलेगी यदि,

    तू उनको मारेगा जेहाद कर,

    तो मैं अधर्मी ही भला हूँ ।nice

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