बच्चा जब माँ को रोते देखता है
तो बच्चा भी
उसके दुख से दुखी होकर रोता है,
बच्चे के लिए माँ का दुख ही सबसे बड़ा दुख है,
इसके आगे वो कुछ सोच समझ नहीं सकता।
बड़ा होने पर जब बच्चा
दुखी होकर रोता है,
तो माँ भी उसके दुख से दुखी होकर रोती है;
बच्चे के दुख के आगे
माँ भी कुछ सोच समझ नहीं पाती;
छोटे बच्चे की तरह।
यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।
कोई शक नहीं| माँ-बेटे का यह लगाव है ही कुछ ऐसा|
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