मंगलवार, 5 अक्तूबर 2010

दुख

खुशी प्रकट करने के तो हजारों तरीके हैं
पर दुख प्रकट करने का बस एक ही तरीका है
और ये तरीका किसी को सिखाना नहीं पड़ता
सब जन्म से ही सीखकर आते हैं
आँसू बहाना
और ज्यादा दुख हो तो चिल्लाना
दुख में सारे इंसान एक जैसा ही व्यवहार करते हैं
दुख सारे इंसानों को एक सूत्र में बाँधता है
रिश्तेदारों को करीब लाता है
जिंदगी में कभी ना कभी
दुख झेलना बड़ा जरूरी है
तभी इंसान दूसरों को इंसान समझता है
और जो लोग अपनो के दुख में खुश होते हैं
वो इंसान नहीं होते
और उनके कभी इंसान बनने की
संभावना भी नहीं होती।

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