मंगलवार, 26 अगस्त 2014

ग़ज़ल : ख़ुदा के साथ यहाँ राम हमनिवाला है

बह्र : मफ़ाइलुन फ़यलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन (1212 1122 1212 22)

ख़ुदा के साथ यहाँ राम हमनिवाला है
ये राजनीति का सबसे बड़ा मसाला है

जो आपके लिये मस्जिद है या शिवाला है
वो मेरे वास्ते मस्ती की पाठशाला है

सभी रकीब हुये खत्म आपके, अब तो
वो आपको ही डसेगा मियाँ, जो पाला है 

छुपा के राज़ यकीनन रखा है दिल में कोई
तभी तो आप के मुँह पे जड़ा ये ताला है

लगे जो आपको बासी व गैर की जूठन
वही तो देश के मज़लूम का निवाला है

12 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन ,ज़वाब नहीं अंदाज़े बयाँ और बयानी का ग़ज़ल के मसौदे का सशक्त विषयवस्तु का।

    बह्र : मफ़ाइलुन फ़यलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन (1212 1122 1212 22)

    ख़ुदा के साथ यहाँ राम हमनिवाला है
    ये राजनीति का सबसे बड़ा मसाला है

    जो आपके लिये मस्जिद है या शिवाला है
    वो मेरे वास्ते मस्ती की पाठशाला है

    सभी रकीब हुये खत्म आपके, अब तो
    वो आपको ही डसेगा मियाँ, जो पाला है

    छुपा के राज़ यकीनन रखा है दिल में कोई
    तभी तो आप के मुँह पे जड़ा ये ताला है

    लगे जो आपको बासी व गैर की जूठन
    वही तो देश के मज़लूम का निवाला है

    जवाब देंहटाएं
  2. लगे जो आपको बासी व गैर की जूठन
    वही तो देश के मज़लूम का निवाला है
    बहुत उम्दा !
    धर्म संसद में हंगामा
    क्या कहते हैं ये सपने ?

    जवाब देंहटाएं
  3. सभी रकीब हुये खत्म आपके, अब तो
    वो आपको ही डसेगा मियाँ, जो पाला है ...
    कमाल का शेर है इस ग़ज़ल का सज्जन जी ... पूरी ग़ज़ल और लाजवाब बहर ...

    जवाब देंहटाएं

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