रविवार, 11 नवंबर 2012

ग़ज़ल : हमारा इश्क हो केवल कथा तो


हमारा इश्क हो केवल कथा तो
निकल आए वो कोई लेखिका तो

मिले मुझको खुदा की तूलिका तो
अगर मैं दूँ मिला भगवा हरा तो

वो दोहों को ही दुनिया मानता है
कहा गर जिंदगी ने सोरठा तो

जिसे वो मानकर सोना बचाए
वही कल हो गया साबित मृदा तो

चढ़ा लो दूध घी फल फूल मेवा
मगर फिर भी नहीं बरसी कृपा तो

जिसे ढूढूँ पिटारी बीन लेकर
वही हो आस्तीनों में छिपा तो

समझदारी है उससे दूर रहना
अगर हो बैल कोई मरखना तो

कहीं बदबू उसे आती नहीं अब
अगर हो बंद उसकी नासिका तो

1 टिप्पणी:

जो मन में आ रहा है कह डालिए।